राजस्थान के प्रमुख जल परियोजनाओं (Major Water Projects of Rajasthan) की सूची दी गई है जो RAS (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) और SI (सब-इंस्पेक्टर) परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। साथ में एक मैप भी तैयार किया जाएगा जिससे आपको भौगोलिक समझ बेहतर मिलेगी,इसके साथ ही जो नई जल परियोजना है उनके बारे में जानेगे जैसे राम जल सेतु परियोजना |

यहाँ राजस्थान के प्रमुख जल परियोजनाओं (Major Water Projects of Rajasthan) की सूची दी गई है जो RAS (राजस्थान प्रशासनिक सेवा) और SI (सब-इंस्पेक्टर) परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। साथ में एक मैप भी तैयार किया जाएगा जिससे आपको भौगोलिक समझ बेहतर मिलेगी।
🌊 राजस्थान की प्रमुख जल परियोजनाएँ (Major Water Projects of Rajasthan)
1. इंदिरा गांधी नहर परियोजना (Indira Gandhi Canal Project)

परियोजना का परिचय:
- इंदिरा गांधी नहर परियोजना भारत की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजना है।
- इसे प्रारंभ में “राजस्थान नहर परियोजना” कहा जाता था, लेकिन वर्ष 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद इसका नाम बदल दिया गया।
- यह परियोजना भारत-पाकिस्तान सीमा पर बसे पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्रों को सिंचाई सुविधा प्रदान करने हेतु शुरू की गई थी।
🔹 उद्देश्य:
- थार मरुस्थल में कृषि योग्य भूमि को सिंचाई योग्य बनाना।
- पेयजल आपूर्ति और क्षेत्रीय विकास।
- रेगिस्तानी इलाकों में हरियाली लाना एवं जनसंख्या का पलायन रोकना।
🔹 निर्माण व संचालन:
- परियोजना की शुरुआत 31 मार्च 1958 को हुई थी।
- दो चरणों में इसे विकसित किया गया:
- प्रथम चरण: हरिके बैराज (पंजाब) से लेकर सूरतगढ़ (राजस्थान) तक – लगभग 204 किमी।
- द्वितीय चरण: सूरतगढ़ से जैसलमेर एवं बाड़मेर जिलों तक विस्तार।
🔹 तकनीकी पक्ष:
- नहर की कुल लंबाई लगभग 649 किमी है, जिसमें मुख्य नहर और शाखाएं शामिल हैं।
- नहर सतही प्रवाह के माध्यम से काम करती है और सतलज व ब्यास नदियों के पानी का उपयोग करती है।
🔹 लाभ:
- बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू व जोधपुर जिलों को सीधा लाभ।
- कृषि में क्रांति – गेहूं, कपास, चना जैसी फसलें सफलतापूर्वक उगाई जा रही हैं।
- पेयजल संकट में कमी और क्षेत्रीय विकास को बल मिला।
इन्दिरा गाँधी नहर की शाखाएं
IGNP पर 9 शाखाओं का निर्माण किया गया है। रावतसर शाखा के अलावा सभी शाखाएं दायीं तरफ है। इनके नाम उत्तर से दक्षिण तक निम्न हैं:
- रावतसर शाखा- एकमात्र शाखा जो बांयी ओर निकाली गई है।
- सूरतगढ़ शाखा-श्रीगंगानगर
- अनूपगढ़ शाखा-श्रीगंगानगर
- पूगल शाखा- बीकानेर
- दातोर शाखा- बीकानेर
- बिरसलपुर शाखा-बीकानेर
- चारणवाला शाखा- एकमात्र शाखा जो दो जिलों (बीकानेर व जैसलमेर) तक विस्तृत है।
- शहीद बीरबल शाखा-जैसलमेर
- सागरमल गोपा शाखा -जैसलमेर
क्र. सं. | लिफ्ट नहर का नाम | लाभान्वित जिले | टिप्पणी |
---|---|---|---|
1 | चौधरी कुम्भाराम लिफ्ट नहर | बीकानेर, झुंझुनूं, चूरू तथा हनुमानगढ़ | इंदिरा गांधी नहर की सर्वाधिक जिलों तक विस्तृत लिफ्ट नहर है। |
2 | कँवरसेन लिफ्ट नहर | बीकानेर व श्रीगंगानगर | इंदिरा गांधी नहर की पहली तथा सर्वाधिक लम्बी (151 कि.मी.) नहर है, जिसे बीकानेर की जीवन रेखा भी कहते हैं। |
3 | प्चालाल बारूपाल लिफ्ट नहर | बीकानेर तथा नागौर | फ्लोराइड डिकंटैमिनेशन हेतु जयल (नागौर) में योजना चलाई जा रही है। |
4 | वीर तेजाजी लिफ्ट नहर | बीकानेर | सबसे छोटी लिफ्ट नहर है। |
5 | डॉ. करणीसिंह लिफ्ट नहर | बीकानेर व जोधपुर | — |
6 | गुरु जम्भेश्वर लिफ्ट नहर | बीकानेर, जैसलमेर तथा जोधपुर | — |
7 | जयनारायण व्यास लिफ्ट | जैसलमेर व जोधपुर | — |
2. जवाहर सागर परियोजना (Jawahar Sagar Project)
🔹 परियोजना का नाम: जवाहर सागर परियोजना
🔹 स्थान: कोटा और झालावाड़ जिले की सीमा पर, चंबल नदी पर स्थित
🔹 निर्माण काल: 1954 में प्रारंभ, 1972 में पूर्ण
🔹 उद्देश्य:
- सिंचाई
- विद्युत उत्पादन
- बाढ़ नियंत्रण
📌 परियोजना का संक्षिप्त परिचय:
- जवाहर सागर बांध चंबल नदी पर स्थित है, जो राजस्थान में कोटा और झालावाड़ जिलों के मध्य है।
- यह चंबल नदी की तीन प्रमुख परियोजनाओं में से एक है – गांधी सागर, राणा प्रताप सागर, और जवाहर सागर।
- इस परियोजना का नाम भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम पर रखा गया है।
📌 बांध की विशेषताएं:
- प्रकार: ग्रेविटी (Gravity) कंक्रीट डैम
- ऊँचाई: लगभग 45 मीटर
- लंबाई: लगभग 393 मीटर
- जलाशय की क्षमता: लगभग 67.92 करोड़ घन मीटर
⚡ विद्युत उत्पादन:
- जल विद्युत संयंत्र की स्थापित क्षमता: लगभग 99 मेगावाट
- इसमें 3 टरबाइन यूनिट्स हैं, प्रत्येक की क्षमता 33 मेगावाट
- यह राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम (RVUNL) द्वारा संचालित है।
🚜 सिंचाई लाभ:
- राजस्थान और मध्य प्रदेश के अनेक जिलों में सिंचाई सुविधा प्रदान करता है।
- इससे क्षेत्रीय कृषि को बढ़ावा मिला है।
🌿 पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव:
- सीमित विस्थापन, लेकिन स्थानीय पारिस्थितिकी पर प्रभाव पड़ा।
- पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया गया है।
3. राणा प्रताप सागर परियोजना (Rana Pratap Sagar Dam
📍परिचय:
- राणा प्रताप सागर बाँध राजस्थान की एक महत्त्वपूर्ण बहुउद्देश्यीय परियोजना है।
- यह चंबल नदी पर स्थित है और यह गांधी सागर बाँध के बाद चंबल घाटी परियोजना की दूसरी कड़ी है।
- इसका नाम वीर महाराणा प्रताप के नाम पर रखा गया है।
📌स्थान:
- यह बाँध कोटा जिले के रावतभाटा कस्बे के पास स्थित है।
🗓️ निर्माण एवं प्रारंभ:
- निर्माण कार्य की शुरुआत 1959 में हुई और बाँध का उद्घाटन 1970 में किया गया।
🔧मुख्य उद्देश्य:
- विद्युत उत्पादन (Hydro Power):
- बाँध से लगभग 172 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है।
- इसमें चार टरबाइन यूनिट्स हैं, प्रत्येक 43 मेगावाट की क्षमता वाली।
- सिंचाई:
- राजस्थान के कोटा और आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई हेतु जल उपलब्ध कराना।
- जल भंडारण एवं बाढ़ नियंत्रण:
- चंबल नदी की बाढ़ नियंत्रण में सहायक।
- पेयजल आपूर्ति में भी उपयोगी।
⚙️प्रमुख विशेषताएँ:
- बाँध की ऊँचाई लगभग 53.8 मीटर है।
- इसकी जलधारण क्षमता लगभग 930 मिलियन क्यूबिक मीटर है।
- यह ग्रेविटी डैम (Gravity Dam) है।
- इसके नीचे ही ‘हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन’ स्थित है।
नोट:
- इससे जुड़ी अन्य बाँध परियोजनाएं: गांधी सागर बाँध, जवाहर सागर बाँध, कोटा बैराज।
- इसे राजस्थान के औद्योगिक विकास और ऊर्जा उत्पादन में मील का पत्थर माना जाता है।
4. गांधी सागर बांध (Gandhi Sagar Dam)
📍स्थान:
- गांधी सागर बांध मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले में चंबल नदी पर स्थित है।
- यह राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा के पास है।
🗓️ निर्माण व इतिहास:
- बांध का निर्माण कार्य 1954 में शुरू हुआ और 1960 में पूरा हुआ।
- यह चंबल घाटी परियोजना (Chambal Valley Project) का पहला चरण है।
- इस परियोजना के तहत राजस्थान और मध्य प्रदेश दोनों को लाभ मिलता है।
📏 मुख्य विशेषताएँ:
- यह एक ग्रैविटी (Gravity) बांध है।
- ऊँचाई: लगभग 62.17 मीटर
- लंबाई: लगभग 514 मीटर
- जल संग्रहण क्षमता: लगभग 7,322 मिलियन क्यूबिक मीटर
- जलाशय (Reservoir) को भी गांधी सागर कहा जाता है।
⚡ उपयोगिता:
- बिजली उत्पादन:
- बांध में हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर स्टेशन है जिसकी क्षमता लगभग 115 मेगावाट है।
- इससे मध्य प्रदेश और राजस्थान को बिजली मिलती है।
- सिंचाई:
- यह बांध राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है।
- खासकर कोटा, बारां, झालावाड़, और भीलवाड़ा ज़िले लाभान्वित होते हैं।
- बाढ़ नियंत्रण:
- चंबल नदी में आने वाली बाढ़ को नियंत्रित करने में यह बांध महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- पर्यटन व जैव विविधता:
- गांधी सागर अभयारण्य भी इस क्षेत्र में स्थित है जो वन्यजीव प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
🔍 परीक्षा के दृष्टिकोण से खास बिंदु:
- चंबल परियोजना के चार प्रमुख बांधों में से एक (अन्य तीन: राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर, कोटा बैराज)।
- राजस्थान की सिंचाई व बिजली व्यवस्था में इसकी प्रमुख भूमिका।
- राजस्थान और मध्य प्रदेश के बीच जल-साझेदारी का अच्छा उदाहरण।
5. माही बजाज सागर परियोजना (Mahi Bajaj Sagar Project)
🔹परिचय:
- माही बजाज सागर परियोजना राजस्थान की प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाओं में से एक है।
- यह माही नदी पर स्थित है, जो मध्य प्रदेश से निकलती है और राजस्थान व गुजरात से होकर बहती है।
🔹स्थान:
- यह परियोजना बांसवाड़ा ज़िले के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित है।
- प्रमुख स्थल: कड़कुन्टा गाँव के पास स्थित है।
🔹निर्माण वर्ष:
- परियोजना की शुरुआत 1972 में हुई और यह 1983 में पूर्ण हुई।
🔹नामकरण:
- इस परियोजना का नाम राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्री बृजलाल बजाज के नाम पर रखा गया है।
🔹मुख्य उद्देश्य:
- सिंचाई:
- बांसवाड़ा, डूंगरपुर और उदयपुर ज़िलों की कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करना।
- लगभग 2.25 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित किया जाता है।
- बिजली उत्पादन:
- 140 मेगावाट क्षमता का हाइड्रो इलेक्ट्रिक पॉवर स्टेशन।
- तीन टर्बाइन यूनिट्स द्वारा बिजली उत्पादन किया जाता है।
- बाढ़ नियंत्रण और जल संरक्षण:
- बाढ़ के समय पानी को रोककर संरक्षित किया जाता है।
🔹प्रमुख विशेषताएँ:
- यह राजस्थान की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय परियोजनाओं में गिनी जाती है।
- जलाशय की लंबाई लगभग 60 किमी है।
- इसमें ग्रेविटी डैम (गुरुत्व बांध) बनाया गया है।
- इसका लाभ गुजरात राज्य को भी मिलता है।
🔹समाज व पर्यावरण पर प्रभाव:
- क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान।
- कुछ गांवों का विस्थापन भी हुआ था, पुनर्वास की व्यवस्था की गई।
6. बिसलपुर बांध परियोजना (Bisalpur Dam Project)
परियोजना का उद्देश्य
बिसलपुर बांध परियोजना राजस्थान राज्य में स्थित एक महत्वपूर्ण जलाशय है, जिसका मुख्य उद्देश्य जल आपूर्ति, सिंचाई, और पेयजल आपूर्ति के लिए है। यह परियोजना खासकर जयपुर और आसपास के इलाकों में पानी की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।
स्थान
यह बांध राजस्थान के टोंक जिले के बिसलपुर गांव में स्थित है। यह बांध बणास नदी पर निर्मित है, जो माही नदी की उपनदी है।
निर्माण
बिसलपुर बांध का निर्माण 1991 में शुरू हुआ और यह 2005 में पूर्ण हुआ। इस बांध को राज्य सरकार और जल संसाधन विभाग द्वारा विकसित किया गया है।
सुविधाएँ और उद्देश्य
- जल आपूर्ति: इस बांध से जयपुर और आसपास के क्षेत्रों को पेयजल आपूर्ति की जाती है।
- सिंचाई: यह परियोजना सिंचाई के लिए भी महत्वपूर्ण है, खासकर उस क्षेत्र में जहां पानी की कमी है।
- भविष्य के लिए योजना: यह बांध भविष्य में बढ़ती जल आवश्यकता को पूरा करने के लिए भी अहम भूमिका निभाएगा।
प्रमुख विशेषताएँ
- भंडारण क्षमता: बिसलपुर बांध की कुल जल भंडारण क्षमता लगभग 0.33 बिलियन क्यूबिक मीटर है।
- ऊँचाई और लंबाई: इस बांध की ऊँचाई लगभग 26 मीटर और लंबाई 600 मीटर है।
- वर्षा जल संचयन: यह बांध बारिश के मौसम में जल संग्रहण का कार्य करता है, जिससे जल संकट के समय जल आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
महत्व
यह बांध न केवल जयपुर और आस-पास के क्षेत्रों के लिए जल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है, बल्कि राजस्थान की जल नीति में भी यह एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके माध्यम से जल संकट के समाधान के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
7. जाखम बांध परियोजना (Jakham Dam Project)
परियोजना का स्थान: जाखम बांध परियोजना, राजस्थान राज्य के भीलवाड़ा जिले में स्थित है। यह परियोजना मुख्य रूप से सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए बनाई गई है।
निर्माण का उद्देश्य:
- इस बांध का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय जल स्रोतों का संरक्षण और सिंचाई की व्यवस्था करना है।
- परियोजना से आसपास के क्षेत्रों में जल आपूर्ति सुनिश्चित करना और सूखा प्रभावित इलाकों में पानी की कमी को दूर करना है।
- बांध का पानी कृषि, पीने के पानी और उद्योगों के लिए उपयोगी होगा।
बांध का आकार:
- यह बांध जाखम नदी पर स्थित है, जो राजस्थान के एक महत्वपूर्ण जलस्रोतों में से एक है।
- बांध की ऊंचाई और जल संचयन क्षमता परियोजना के लिए महत्वपूर्ण पहलू हैं, जो सुनिश्चित करते हैं कि पूरे क्षेत्र की जल आपूर्ति की आवश्यकता पूरी हो सके।
सिंचाई क्षेत्र:
- जाखम बांध परियोजना से राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के साथ-साथ नजदीकी क्षेत्रों में करीब 50,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी।
- इससे किसानों को समय पर पानी मिल सकेगा और कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
परियोजना का महत्व:
- यह परियोजना राजस्थान के जल संकट को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण है, जहां अधिकांश क्षेत्र सूखा प्रभावित रहते हैं।
- जल आपूर्ति बढ़ने से कृषि और रोज़गार के अवसरों में सुधार होगा।
- पर्यावरणीय दृष्टि से भी, यह परियोजना जल संरक्षण में सहायक साबित होगी।
सम्भावित प्रभाव:
- इसके लागू होने से आसपास के क्षेत्र में जीवन स्तर में सुधार होगा।
- हालांकि, जल संरक्षण और वितरण के लिए उचित प्रबंधन की आवश्यकता होगी ताकि परियोजना का पूरा लाभ लिया जा सके।
8. रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam)
स्थान: रामगढ़ बांध राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित है, जो जयपुर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। यह बांध अरावली पर्वत श्रृंखला के नजदीक स्थित है।
निर्माण: रामगढ़ बांध का निर्माण 1903 में हुआ था। यह बांध मुख्य रूप से पानी की आपूर्ति और सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया था।
उद्देश्य:
- जल आपूर्ति: रामगढ़ बांध मुख्य रूप से जयपुर शहर और उसके आस-पास के क्षेत्रों को पानी की आपूर्ति करता है।
- सिंचाई: यह बांध आसपास के कृषि क्षेत्रों में सिंचाई के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिससे किसानों को पर्याप्त पानी मिलता है।
- वातावरणीय सुरक्षा: बांध से मिलने वाले जलस्तर से इलाके का पारिस्थितिकी तंत्र भी बेहतर होता है।
संरचना:
- बांध का आकार मध्यम है और यह मुख्यतः मिट्टी और पत्थर से बना हुआ है। इसकी लंबाई लगभग 2.5 किलोमीटर है।
- इसमें जल संग्रहण क्षमता 0.5 मिलियन क्यूबिक मीटर के आसपास है।
प्राकृतिक सौंदर्य:
- यह स्थान पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहाँ की सुरम्य वादियाँ और शांत वातावरण लोगों को प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने का अवसर प्रदान करते हैं।
- रामगढ़ झील के आसपास वन्यजीवों का बसेरा भी है, जिससे यह क्षेत्र जैव विविधता के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
महत्व:
- यह बांध जयपुर क्षेत्र के जल संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- बांध से जुड़ी जलाशय प्रणाली और आसपास के क्षेत्र में विभिन्न जल-प्रबंधन योजनाएँ लागू की जाती हैं।
आधुनिक चुनौतियाँ:
- जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय दबाव के कारण जल स्तर में उतार-चढ़ाव देखा जाता है।
- बांध की मरम्मत और रख-रखाव में भी समय-समय पर निवेश की आवश्यकता होती है।
9. PKC -ERCP(राम जल सेतु परियोजना )
राजस्थान में जल संसाधनों के प्रबंधन और वितरण को सुधारने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई ‘राम जल सेतु लिंक परियोजना’ (पूर्व में पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना या PKC-ERCP) राज्य की एक महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी योजना है। इस परियोजना का उद्देश्य राज्य के 17 जिलों में पेयजल और सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराना है, जिससे लगभग 3.25 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा और 25 लाख किसानों की लगभग चार लाख हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।
Modified Parvati- Kalisindh -Chambal Link Project (Integrated ERCP): राम जल सेतु लिंक परियोजना